खेत बने कालोनियां सूखे सारे ताल !
अच्छा है न सुना हमें सखे गाँव का हाल !
नारेगा गा गा बने अब सैयां सरपंच !
छुटा कलेवा खेत का करें शहर में लंच !
पूज्य समझ इसको सभी मन में रहे उतार !
भरते भ्रष्टाचार से भूरि भूरि भण्डार !
सोन चिड़ी के काट कर पंख धरे परदेस !
भून रहे तंदूर में अच्छा खासा देस
बन्दर मिल कर नोचते एक एक अब डाल !
रब्बा अब इस पेड़ को तू ही साज संभाल !
'राम-राज्य' राम भरोसे तो आने से रहा. रामजी क्या-क्या संभालेंगे !!
ReplyDeleteअब हम सबको जागना ही होगा.