Friday, July 30, 2010

अच्छा है न सुना हमें सखे गाँव का हाल !

खेत बने कालोनियां सूखे सारे ताल !

अच्छा है न सुना हमें सखे गाँव का हाल !

नारेगा गा गा बने अब सैयां सरपंच !

छुटा कलेवा खेत का करें शहर में लंच !

पूज्य समझ इसको सभी मन में रहे उतार !

भरते भ्रष्टाचार से भूरि भूरि भण्डार !

सोन चिड़ी के काट कर पंख धरे परदेस !

भून रहे तंदूर में अच्छा खासा देस

बन्दर मिल कर नोचते एक एक अब डाल !

रब्बा अब इस पेड़ को तू ही साज संभाल !

1 comment:

  1. 'राम-राज्य' राम भरोसे तो आने से रहा. रामजी क्या-क्या संभालेंगे !!
    अब हम सबको जागना ही होगा.

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